Kidney Failure – किडनी हमारे शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है, जो खून से वेस्ट पदार्थ (toxins), अतिरिक्त पानी, और नमक को छानकर मूत्र (urine) के रूप में बाहर निकालती है।जब किडनी ये काम ठीक से नहीं कर पाती, तो उसे किडनी फेल्योर या गुर्दे की विफलता कहा जाता है।
किडनी फेल्योर दो प्रकार का होता है —
1.Acute Kidney Failure (अचानक गुर्दे का फेल होना) – कुछ घंटों या दिनों में हो सकता है।
2.Chronic Kidney Failure (धीरे-धीरे किडनी फेल होना) – महीनों या वर्षों में बढ़ता है।
मुख्य कारण
- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) – लगातार BP बढ़े रहने से किडनी की नलियाँ कमजोर हो जाती हैं।
- डायबिटीज़ (Diabetes Mellitus) – शुगर का लेवल ज़्यादा रहने से किडनी की फिल्टरिंग यूनिट (nephrons) खराब होती है।
- दवाओं का अधिक प्रयोग – दर्द की दवाइयाँ (NSAIDs), एंटीबायोटिक या स्टेरॉयड का लगातार उपयोग।
- किडनी इंफेक्शन (Infection)
- पथरी (Kidney Stones
- डिहाइड्रेशन (पानी की कमी)
- अनुवांशिक रोग (Genetic Disorders) जैसे Polycystic Kidney Disease।
- हृदय, लीवर या पेशाब रुकने की समस्या।
किडनी फेल्योर के लक्षण
किडनी फेल होने के शुरुआती लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ ये गंभीर हो जाते हैं।मुख्य लक्षण हैं:
1.पेशाब कम आना या बिल्कुल बंद होना
2.शरीर, चेहरा या पैरों में सूजन
3.थकान और कमजोरी
4.भूख कम लगना, उल्टी, मितली
5.सांस लेने में तकलीफ़
6.ब्लड प्रेशर बढ़ना
7.त्वचा में खुजली या रंग बदलना
8.पेशाब में झाग या खून
9.नींद की समस्या
10.ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
किडनी फेल्योर के टेस्ट (Tests for Kidney Failure)
किडनी की स्थिति जांचने के लिए कई तरह के ब्लड, यूरिन और इमेजिंग टेस्ट किए जाते हैं।ये सभी टेस्ट किसी नेफ्रोलॉजिस्ट (Nephrologist) की सलाह से करवाए जाते हैं।
1. ब्लड टेस्ट
Serum Creatinine – सामान्यतः 0.6–1.3 mg/dl होता है। बढ़े हुए स्तर किडनी फेल्योर का संकेत हैं।
Blood Urea Nitrogen (BUN) – सामान्य 7–20 mg/dl होता है।
Estimated GFR (Glomerular Filtration Rate) – 90 से ऊपर सामान्य; 60 से कम हो तो किडनी में समस्या।
Electrolytes Test – सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम असंतुलन पता चलता है।
2. यूरिन टेस्ट
Urine Routine and Microscopy – प्रोटीन, खून, बैक्टीरिया या शुगर की जांच।
24-hour Urine Protein Test – एक दिन में निकले प्रोटीन की मात्रा मापी जाती है।
Urine Albumin/Creatinine Ratio (ACR) – शुरुआती नुकसान पकड़ने में मदद करता है।
3. इमेजिंग टेस्ट
Ultrasound KUB (Kidney, Ureter, Bladder) – किडनी का आकार, पथरी या ब्लॉकेज का पता चलता है।CT Scan / MRI Abdomen – संरचनात्मक समस्या या ट्यूमर देखने के लिए।
4. बायोप्सी (Kidney Biopsy)
यदि कारण स्पष्ट नहीं हो, तो किडनी के छोटे टिश्यू का नमूना लेकर माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।
टेस्ट कब करवाना चाहिए (When to Get Tested)
निम्न स्थितियों में किडनी टेस्ट करवाना ज़रूरी है:
बार-बार सूजन रहना (फेस, लेग्स),पेशाब कम या झागदार आना , लगातार BP या Sugar बढ़ा रहना , किसी को फैमिली हिस्ट्री में किडनी रोग हो , बार-बार पेशाब में इंफेक्शन ,थकान, चक्कर, कमजोरी.
अगर ऊपर दिए लक्षण 1–2 हफ्तों से बने रहें, तो तुरंत किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाना चाहिए।
किस डॉक्टर को दिखाएं
Nephrologist (नेफ्रोलॉजिस्ट) – किडनी से संबंधित रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर।
Urologist (यूरोलॉजिस्ट) – पेशाब की नली, ब्लैडर और किडनी के ऑपरेशन से जुड़े विशेषज्ञ।
शुरुआती चरण में आप Physician से भी सलाह ले सकते हैं, जो आपको सही विशेषज्ञ के पास रेफर करेंगे।
इलाज
किडनी फेल्योर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या अस्थायी (Acute) है या स्थायी (Chronic)।
Acute Kidney Failure में —Intravenous fluids देकर शरीर में पानी का स्तर संतुलित किया जाता है।दवाओं से संक्रमण और ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया जाता है।कुछ मामलों में Dialysis (डायलिसिस) की अस्थायी जरूरत पड़ती है।
Chronic Kidney Failure में — ब्लड प्रेशर और शुगर नियंत्रित रखने की दवाएँ दी जाती हैं।Low Protein Diet दी जाती है ताकि किडनी पर लोड कम हो।जब GFR बहुत कम हो जाए (<15), तो Dialysis या Kidney Transplant की जरूरत पड़ती है।
घरेलू और प्राकृतिक उपाय
1. पर्याप्त पानी पिएं – दिन में 2–3 लीटर, लेकिन डॉक्टर की सलाह अनुसार।
2. नमक और प्रोटीन कम करें – विशेष रूप से मांस, दाल, सोया कम लें।
3. शुगर और BP नियंत्रित रखें – नियमित जांच करवाते रहें।
4. धूम्रपान व शराब से परहेज़ करें।
5. एलोवेरा, आंवला, तुलसी, लौकी का रस सीमित मात्रा में लें (डॉक्टर की अनुमति से)।
6. कसरत और योग – नियमित हल्का व्यायाम करें (प्राणायाम, अनुलोम-विलोम)।7. नींद पूरी लें, तनाव कम रखें।
खानपान में सावधानियाँ
उबली सब्जियाँ, सेब, पपीता, लौकी, टिंडा नमकीन चीज़ें, अचार, सॉसचावल, दलिया, ओट्स दालें, मांस, मछलीपानी या नारियल पानी (सीमित) सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंकनींबू पानी, जौ का पानी कॅफ़ीन, फास्ट फूड.
बचाव
नियमित KFT टेस्ट करवाएं यदि डायबिटीज़ या हाई BP है।अनावश्यक पेनकिलर या स्टेरॉयड न लें।
संक्रमण या पेशाब में जलन को नज़रअंदाज़ न करें।वजन नियंत्रित रखें।
संतुलित आहार और रोज़ाना 30 मिनट वॉक करें।