- गीता समोता एक प्रेरणादायक पर्वतारोही और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की सब-इंस्पेक्टर हैं, जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति, साहस, और दृढ़ संकल्प से पर्वतारोहण की दुनिया में एक अनोखा स्थान बनाया है।
- 19 मई 2025 को, उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी कर CISF की पहली महिला अधिकारी के रूप में इतिहास रच दिया।
- उनकी इस उपलब्धि ने न केवल CISF बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का
- प्रतीक बन गई है।
Sub-Inspector #GeetaSamota of the Central Industrial Security Force (#CISF) successfully summited #MountEverest, on 19th May.@CISFHQrs pic.twitter.com/IC2Gng1a0O
— All India Radio News (@airnewsalerts) May 20, 2025
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बायोग्राफी
- जन्म और प्रारंभिक जीवन:
- गीता समोता का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के चक गाँव में एक साधारण परिवार में हुआ।
- उनके परिवार में चार बहनें हैं, और उनकी परवरिश एक पारंपरिक ग्रामीण माहौल में हुई।
- गीता ने अपनी स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई स्थानीय संस्थानों से पूरी की। कॉलेज के दिनों में वह एक होनहार हॉकी खिलाड़ी थीं, लेकिन एक चोट ने उनके खेल करियर को रोक दिया।
- शिक्षा और प्रारंभिक रुचियाँ:
- गीता की शैक्षिक पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनकी उपलब्धियों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि वह मेहनती और दृढ़ निश्चयी थीं।
- हॉकी में उनकी रुचि ने उनकी शारीरिक और मानसिक दृढ़ता को बढ़ाया, जो बाद में पर्वतारोहण में उनके लिए उपयोगी साबित हुआ।
- CISF में शामिल होना:
- गीता ने 2011 में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में शामिल होकर अपने करियर की शुरुआत की।
- वह वर्तमान में उदयपुर हवाई अड्डा इकाई में तैनात हैं।
- CISF में शामिल होने के बाद, उन्होंने पर्वतारोहण में रुचि विकसित की, जो उस समय बल में एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र था।
करियर और पर्वतारोहण की यात्रा
- पर्वतारोहण में शुरुआत:
- 2015 में, गीता ने औली में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) प्रशिक्षण संस्थान में छह सप्ताह के बेसिक पर्वतारोहण कोर्स में भाग लिया। वह अपने बैच की एकमात्र महिला थीं।
- 2017 में, उन्होंने एडवांस्ड पर्वतारोहण कोर्स पूरा किया, और वह ऐसा करने वाली CISF की पहली कर्मी बनीं।
- प्रमुख उपलब्धियाँ:
- 2019: गीता ने उत्तराखंड में माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल में माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर चढ़ाई की, और वह ऐसा करने वाली किसी भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की पहली महिला बनीं।
- 2021-2022: उन्होंने “सेवन समिट्स” चुनौती को अपनाया, जिसमें सात महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों पर चढ़ना शामिल है। इस दौरान, उन्होंने छह महीने और 27 दिनों में चार चोटियों पर चढ़ाई की:
- माउंट कोसियुस्को (2,228 मीटर, ऑस्ट्रेलिया)
- माउंट एल्ब्रुस (5,642 मीटर, रूस)
- माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर, तंजानिया)
- माउंट अकॉन्कागुआ (6,961 मीटर, अर्जेंटीना)
- वह इन चार चोटियों को सबसे तेजी से फतह करने वाली भारतीय महिला बनीं।
- लद्दाख की उपलब्धि: गीता ने लद्दाख के रूपशु क्षेत्र में केवल तीन दिनों में पाँच चोटियों पर चढ़ाई की, जिनमें तीन चोटियाँ 6,000 मीटर से अधिक और दो 5,000 मीटर से अधिक थीं।
- माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई:
- 19 मई 2025 को, गीता ने माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) की चढ़ाई पूरी की, और CISF की पहली महिला अधिकारी के रूप में तिरंगा फहराया।
- यह उपलब्धि उनके साहस, प्रशिक्षण, और CISF के समर्थन का परिणाम थी, जिसमें मनाली के अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स (ABVIMAS) में शीतकालीन अनुकूलन प्रशिक्षण शामिल था।
- उनकी इस उपलब्धि ने CISF को 2026 में एक पूर्ण पर्वतारोहण टीम को एवरेस्ट पर भेजने के लिए प्रेरित किया।
पुरस्कार और सम्मान
- गीता समोता को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं:
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार 2023: दिल्ली महिला आयोग द्वारा।
- गिविंग विंग्स टू ड्रीम्स अवॉर्ड 2023: नागर विमानन मंत्रालय द्वारा।
- उनकी उपलब्धियों को CISF के वरिष्ठ अधिकारियों, जैसे डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल अजय दहिया, ने सराहा, जिन्होंने इसे महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक बताया।
निजी जीवन
- गीता समोता अपने निजी जीवन को गोपनीय रखती हैं, और उनके परिवार या व्यक्तिगत रुचियों के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
- उनकी परवरिश में, उन्होंने लड़कों की उपलब्धियों की कहानियाँ सुनीं, लेकिन लड़कियों की कहानियों की कमी ने उन्हें बाधाएँ तोड़ने के लिए प्रेरित किया।
- उनकी फिलॉसफी स्पष्ट है: “पहाड़ महान समतलीकरण हैं। वे लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते। केवल वे ही लोग जो उस खास ‘एक्स-फैक्टर’ के साथ हैं, उन ऊँचाइयों को जीत सकते हैं।”
सामाजिक प्रभाव
- गीता समोता ने न केवल पर्वतारोहण में, बल्कि लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने में भी योगदान दिया है।
- उनकी कहानी युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा है, और उनका संदेश है: “बड़े सपने देखो, कड़ी मेहनत करो, और कभी हार मत मानो।”
- उनकी उपलब्धियों ने CISF को पर्वतारोहण को और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया, और 2026 में एक पूर्ण CISF पर्वतारोहण टीम एवरेस्ट पर चढ़ाई करेगी।
नेट वर्थ
- गीता समोता की नेट वर्थ के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है।
- एक CISF सब-इंस्पेक्टर के रूप में, उनकी आय सरकारी वेतनमान (लगभग 35,000-50,000 रुपये मासिक) और पर्वतारोहण अभियानों के लिए प्रायोजन पर निर्भर करती है।
- CISF ने उनके अभियानों, जैसे कि एवरेस्ट और अन्य चढ़ाइयों, के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की।
माउंट एवरेस्ट चढ़ाई का विवरण
- तारीख: 19 मई 2025, सुबह।
- स्थान: माउंट एवरेस्ट, 8,849 मीटर (29,032 फीट), विश्व की सबसे ऊँची चोटी।
- प्रशिक्षण:
- गीता ने मनाली के ABVIMAS में शीतकालीन अनुकूलन प्रशिक्षण लिया।
- 2015 और 2017 में बेसिक और एडवांस्ड पर्वतारोहण कोर्स ने उनकी तकनीकी और शारीरिक क्षमता को बढ़ाया।
- चुनौतियाँ:
- माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई अत्यंत कठिन है, जिसमें ऑक्सीजन की कमी, अत्यधिक ठंड, और खतरनाक इलाके शामिल हैं।
- गीता ने पहले 2021 में एक रद्द हुए एवरेस्ट अभियान का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सेवन समिट्स चुनौती को अपनाया।
- CISF का समर्थन:
- CISF ने गीता को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की, जिसने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- प्रभाव:
- उनकी इस चढ़ाई ने CISF और भारत के लिए गर्व का क्षण पैदा किया।
- सोशल मीडिया पर उनकी उपलब्धि को व्यापक रूप से सराहा गया, और कई लोगों ने इसे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया।
- गीता समोता की माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो उनके साहस, दृढ़ता, और CISF के समर्थन को दर्शाती है।
- राजस्थान के एक छोटे से गाँव से निकलकर विश्व की सबसे ऊँची चोटी तक का उनका सफर युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों के लिए, एक प्रेरणा है।
- उनकी उपलब्धियाँ, जैसे कि सेवन समिट्स की चार चोटियों को फतह करना और लद्दाख में पाँच चोटियों की रिकॉर्ड चढ़ाई, उन्हें भारत की सबसे तेज और साहसी महिला पर्वतारोहियों में से एक बनाती हैं।
- CISF की पहली महिला अधिकारी के रूप में, गीता ने न केवल पहाड़ों को जीता, बल्कि लैंगिक रूढ़ियों को भी तोड़ा है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो बड़े सपने देखता है।