छत्रपति संभाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र और मराठा साम्राज्य के द्वितीय छत्रपति थे। वे ना केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि एक विद्वान, नीति-निपुण राजा और अपने धर्म व स्वाभिमान के लिए बलिदान देने वाले अमर वीर भी थे।

जन्म और शिक्षा संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। बचपन से ही उन्हें युद्धकला, राजनीति, शास्त्रों और भाषाओं का गहरा ज्ञान था। वे 15 भाषाओं के ज्ञाता थे और संस्कृत, फारसी, हिंदी, मराठी, उर्दू, अरबी जैसी भाषाओं में निपुण थे।

 संभाजी महाराज ने अपने जीवनकाल में मुगलों, पुर्तगालियों और निजाम जैसे कई शक्तिशाली दुश्मनों से लोहा लिया। औरंगज़ेब के खिलाफ उन्होंने लगातार युद्ध किए और कभी झुकने का नाम नहीं लिया।

1689 में औरंगज़ेब की सेना ने धोखे से उन्हें पकड़ लिया। मुग़ल शासक ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन संभाजी महाराज ने साफ़ इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें अमानवीय यातनाएँ दी गईं — उनकी आंखें फोड़ दी गईं, जीभ काट दी गई, और शरीर को टुकड़ों में बांट दिया गया, लेकिन उन्होंने अपना धर्म और स्वाभिमान नहीं छोड़ा।

संभाजी महाराज का बलिदान हिंदवी स्वराज्य की रक्षा के लिए था। उनका त्याग आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वे "धर्मवीर संभाजी" के नाम से पूजित होते हैं। संभाजी महाराज को आज भी “धर्मवीर संभाजी” कहा जाता है। वे हिंदवी स्वराज्य, धर्म, और स्वाभिमान के लिए अपने प्राण देने वाले एक महान बलिदानी और अमर वीर हैं।