मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब को इतिहास में एक क्रूर और कट्टर शासक के रूप में जाना जाता है। उसने अपने शासनकाल (1658 – 1707) में कई धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक अत्याचार किए। विशेष रूप से हिंदू धर्म, मराठा वीरों, और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों पर उसके द्वारा किए गए अत्याचार बहुत कड़े और अमानवीय थे।

 उसने हज़ारों मंदिरों को तोड़ा – जैसे काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी), केशवदेव मंदिर (मथुरा)।  हिंदुओं पर जज़िया कर दोबारा लगाया, जो शिवाजी महाराज के समय हटा दिया गया था। जबरन धर्मांतरण कराना आम बात थी – विशेषकर युद्ध में पकड़े गए लोगों को।

    1689 में जब संभाजी महाराज को बंदी बनाया गया, औरंगज़ेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा। उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें आंखें फोड़ दी गईं जीभ काट दी गई हाथ-पाँव तोड़े गए शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए गए

  राजनीतिक विरोधियो का दमन अपने ही भाइयों को गद्दी की लड़ाई में मरवा दिया (दारा शिकोह, मुराद, शुजा)। अपने पिता शाहजहाँ को कैद कर दिया था, जबकि वे बीमार थे। हर उस राजा या राज्य पर हमला किया जो उसकी सत्ता को चुनौती देता – जैसे मराठा, राजपूत, सिख।

औरंगज़ेब ने केवल दूसरों पर ही नहीं, बल्कि अपने पिता और परिवार के लोगों पर भी भयानक ज़ुल्म किए थे। उसकी सत्ता की भूख इतनी थी कि उसने अपने सगे रिश्तेदारों को भी नहीं छोड़ा। जब शाहजहाँ बीमार पड़े, औरंगज़ेब ने गद्दी हथियाने के लिए उन्हें आगरा के किले में कैद कर दिया। 

  भाइयों पर ज़ुल्म    दारा को शाहजहाँ ने उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन औरंगज़ेब ने उसे युद्ध में हराकर गिरफ्तार किया और सरेआम उसका सिर कलम करवा दिया।  दारा को "काफ़िर" घोषित कर मार डाला गया क्योंकि वह धर्मों के बीच सामंजस्य की बात करता था।