Jyothi Yarraji:एक गरीब परिवार की बेटी जिसने एशियाई चैंपियनशिप में फहराया तिरंगा.

Jyothi Yarraji : भारत की सबसे तेज़ महिला हर्डलर की विस्तृत जीवनी

Jyothi Yarraji एक भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट हैं, जो 100 मीटर हर्डल्स में अपनी असाधारण प्रतिभा के लिए जानी जाती हैं। वह भारत की सबसे तेज़ महिला हर्डलर हैं और 100 मीटर हर्डल्स में राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक हैं। उनकी यात्रा आर्थिक तंगी, चोटों और सामाजिक बाधाओं से भरी रही, फिर भी उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ता से भारतीय एथलेटिक्स में एक नया मुकाम हासिल किया। यह लेख उनकी जीवनी को बिंदुवार और विस्तृत रूप में प्रस्तुत करता है, जो उनकी प्रेरणादायक कहानी को उजागर करता है।

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व्यक्तिगत जानकारी

  • नाम:Jyothi Yarraji
  • जन्म: 28 अगस्त 1999, विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश, भारत
  • उम्र: 25 वर्ष (31 मई 2025 तक)
  • पेशा: ट्रैक और फील्ड एथलीट (100 मीटर हर्डल्स और 60 मीटर हर्डल्स विशेषज्ञ)
  • शारीरिक विशेषताएँ:
    • कद: 5 फीट 7 इंच
    • वजन: लगभग 50 किलोग्राम
    • बाल: काले
    • आँखें: काली
  • वैवाहिक स्थिति: अविवाहित
  • सोशल मीडिया: इंस्टाग्राम पर 89k+ फॉलोअर्स (@jyothi_yarraji)

प्रारंभिक जीवन

  • पारिवारिक पृष्ठभूमि:
    ज्योति का जन्म विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता, सूर्यनारायण, एक निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी माँ, कुमारी, एक घरेलू सहायिका और अस्पताल में सफाई कर्मचारी हैं। उनके परिवार की मासिक आय 18,000 रुपये से कम थी, जिसके कारण उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके भाई, सुरेश याराजी, उनके सबसे बड़े समर्थक रहे हैं।
  • शिक्षा:
    ज्योति ने विशाखापट्टनम के पोर्ट हाई स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। बाद में, उन्होंने आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय, गुंटूर से कला स्नातक (बीए) की डिग्री हासिल की। स्कूल के दौरान, उनकी लंबी कद-काठी और दुबली-पतली बनावट ने शारीरिक शिक्षा शिक्षक का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने उन्हें एथलेटिक्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • प्रारंभिक रुचि:
    ज्योति ने स्कूल में विभिन्न खेलों में भाग लिया, लेकिन हर्डल्स में उनकी रुचि तब बढ़ी जब उनके शिक्षक ने उनकी गति और लचीलापन को देखा। उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में भाग लिया, लेकिन हर्डल्स में उनकी असाधारण प्रतिभा ने उन्हें इस क्षेत्र में विशेषज्ञता की ओर ले गया।

एथलेटिक्स करियर

शुरुआती कदम

  • पहली सफलता:
    2015 में, ज्योति ने आंध्र प्रदेश अंतर-जिला प्रतियोगिता में 100 मीटर हर्डल्स में स्वर्ण पदक जीता। यह उनकी पहली बड़ी उपलब्धि थी, जिसने उन्हें स्थानीय स्तर पर पहचान दिलाई। इस जीत ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया और उन्हें एथलेटिक्स में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।
  • प्रशिक्षण की शुरुआत:
    2016 में, ज्योति ने हैदराबाद के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) सेंटर में प्रशिक्षण शुरू किया। उनके पहले कोच, ड्रोनाचार्य पुरस्कार विजेता एन. रमेश, ने उनकी तकनीक को निखारा और हर्डल्स में उनकी गति को बढ़ाने पर काम किया। 2019 में, वे भुवनेश्वर के रिलायंस एथलेटिक्स हाई-परफॉर्मेंस सेंटर में शामिल हुईं, जहां ब्रिटिश कोच जेम्स हिलियर ने उनकी तकनीक और मानसिक दृढ़ता को और मजबूत किया।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ

  • राष्ट्रीय रिकॉर्ड:
    • 100 मीटर हर्डल्स:
      10 मई 2022 को साइप्रस इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट में ज्योति ने 13.23 सेकंड में दौड़ पूरी की, जिससे उन्होंने अनुराधा बिस्वाल का 20 साल पुराना राष्ट्रीय रिकॉर्ड (13.38 सेकंड) तोड़ा। इस रेस में उनकी शुरुआत धीमी (0.243 सेकंड) थी, फिर भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता।
      अक्टूबर 2022 में नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने 12.82 सेकंड का समय निकाला, और पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने 100 मीटर हर्डल्स को 13 सेकंड से कम समय में पूरा किया।
    • 60 मीटर हर्डल्स (इंडोर):
      2023 में, ज्योति ने 60 मीटर हर्डल्स में 8.04 सेकंड का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया, जो भारतीय इंडोर एथलेटिक्स में एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।
  • अंतरराष्ट्रीय मंच:
    • 2022 एशियाई खेल (हांगझोऊ):
      ज्योति ने 100 मीटर हर्डल्स में रजत पदक जीता। हालांकि, वह स्वर्ण से चूक गईं, लेकिन उनकी इस उपलब्धि ने भारत में हर्डल्स को नई पहचान दी।
    • 2023 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप (बैंकॉक):
      उन्होंने 100 मीटर हर्डल्स में 13.09 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता। यह भारत के लिए हर्डल्स में पहला स्वर्ण था।
    • 2024 एशियाई इंडोर चैंपियनशिप (तेहरान):
      60 मीटर हर्डल्स में 8.12 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता।
    • 2022 नेशनल गेम्स (गुजरात):
      100 मीटर और 100 मीटर हर्डल्स दोनों में स्वर्ण पदक जीते।
    • पेरिस ओलंपिक 2024:
      ज्योति विश्व रैंकिंग कोटा के आधार पर 100 मीटर हर्डल्स में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। हालांकि, वे पदक नहीं जीत सकीं, लेकिन उनकी भागीदारी ने भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक नया अध्याय खोला।
  • विश्व रैंकिंग:
    2025 में, ज्योति 100 मीटर हर्डल्स में विश्व रैंकिंग में 32वें स्थान पर हैं, जो भारतीय एथलीट के लिए उल्लेखनीय है।

प्रशिक्षण और तकनीक

  • कोचिंग:
    ज्योति की सफलता में उनके कोच एन. रमेश और जेम्स हिलियर का बड़ा योगदान है। रमेश ने उनकी बुनियादी तकनीक को मजबूत किया, जबकि हिलियर ने उनकी हर्डल्स क्रॉसिंग और स्टार्टिंग रिएक्शन टाइम पर काम किया।
  • प्रशिक्षण रणनीति:
    ज्योति का प्रशिक्षण गति, लचीलापन, और हर्डल्स क्रॉसिंग की तकनीक पर केंद्रित है। वे दिन में दो बार प्रशिक्षण लेती हैं, जिसमें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, स्प्रिंट ड्रिल्स, और हर्डल्स प्रैक्टिस शामिल हैं।
  • आहार और फिटनेस:
    ज्योति एक संतुलित आहार का पालन करती हैं, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और विटामिन शामिल हैं। उनकी फिटनेस रूटीन में योग और मेडिटेशन भी शामिल है, जो उनकी मानसिक दृढ़ता को बढ़ाता है।

चुनौतियाँ

  • आर्थिक कठिनाइयाँ:
    ज्योति के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके कारण उन्हें प्रशिक्षण और उपकरणों के लिए संघर्ष करना पड़ा। उनके माता-पिता ने अपनी सीमित आय से उनकी खेल यात्रा का समर्थन किया।
  • चोट और रिकवरी:
    2021 में, ज्योति को पीठ की चोट ने परेशान किया, जिसके कारण वे लगभग पूरे सीजन से बाहर रहीं। इस दौरान कोविड-19 महामारी ने भी उनकी ट्रेनिंग को प्रभावित किया। चोट के बाद, उन्हें हर्डल्स पर कूदने में डर लगता था, लेकिन कोच जेम्स हिलियर ने उनकी तकनीक और आत्मविश्वास को पुनर्जनन किया।
  • सामाजिक बाधाएँ:
    एक छोटे शहर से आने वाली ज्योति को सामाजिक और लैंगिक रूढ़ियों का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने उनकी खेल यात्रा को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन उनके परिवार और कोचों के समर्थन ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

व्यक्तिगत जीवन

  • प्रेरणा स्रोत:
    ज्योति उसैन बोल्ट और नीरज चोपड़ा को अपनी प्रेरणा मानती हैं। नीरज की ओलंपिक सफलता ने उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया।
  • शौक:
    ज्योति को संगीत सुनना और यात्रा करना पसंद है। वे अपने खाली समय में किताबें पढ़ती हैं, खासकर प्रेरणादायक कहानियाँ।
  • मानसिक दृष्टिकोण:
    ज्योति का मानना है कि मानसिक दृढ़ता शारीरिक ताकत जितनी ही महत्वपूर्ण है। वे ध्यान और विज़ुअलाइज़ेशन तकनीकों का उपयोग करती हैं।

उपलब्धियाँ और पुरस्कार

  • राष्ट्रीय रिकॉर्ड:
    • 100 मीटर हर्डल्स: 12.82 सेकंड (2022)
    • 60 मीटर हर्डल्स (इंडोर): 8.04 सेकंड (2023)
  • पदक:
    • 2022 एशियाई खेल (रजत, 100 मीटर हर्डल्स)
    • 2023 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप (स्वर्ण, 100 मीटर हर्डls)
    • 2024 एशियाई इंडोर चैंपियनशिप (स्वर्ण, 60 मीटर हर्डल्स)
    • 2022 नेशनल गेम्स (स्वर्ण, 100 मीटर और 100 मीटर हर्डल्स)
  • पुरस्कार:
    • अर्जुन पुरस्कार (2024): उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भारत सरकार द्वारा सम्मानित।
    • फोर्ब्स इंडिया 30 अंडर 30 (2024): युवा उपलब्धियों के लिए सम्मान।
  • सम्मान
    • 2023: एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
    • 2022: एशियाई खेलों में रजत पदक
    • राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक (100m बाधा दौड़ – 12.78 सेकंड)
    • रिलायंस फाउंडेशन द्वारा समर्थित

अनोखे तथ्य

  • ज्योति ने 2022 साइप्रस मीट में धीमी शुरुआत (0.243 सेकंड) के बावजूद स्वर्ण जीता, जो उनकी रिकवरी और गति का प्रमाण है।
  • 2025 नेशनल गेम्स में उन्होंने नकद पुरस्कार के लिए भाग लिया, जो उनके परिवार और प्रशिक्षण के लिए था।
  • उनकी हर्डल्स क्रॉसिंग तकनीक को उनके कोच जेम्स हिलियर ने “प्राकृतिक और तरल” बताया है।
  • ज्योति का लक्ष्य 12.5 सेकंड में 100 मीटर हर्डल्स पूरी करना और ओलंपिक पदक जीतना है।

भविष्य की संभावनाएँ

Jyothi Yarraji भारतीय एथलेटिक्स में एक उभरता सितारा हैं। उनकी तकनीक, गति, और मानसिक दृढ़ता उन्हें वैश्विक मंच पर और अधिक सफलता दिला सकती है। वे 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भारत के लिए पहला हर्डल्स पदक जीतने की उम्मीद करती हैं। उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।

  • 2024 पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतना
  • 100m बाधा दौड़ में 12.5 सेकंड का समय हासिल करना
  • भारत में एथलेटिक्स को बढ़ावा देना

“हार्ड वर्क, डिसिप्लिन और पैशन ही सफलता की कुंजी है।” – ज्योति यर्राजी

Jyothi Yarraji की यात्रा मेहनत, समर्पण, और असाधारण प्रतिभा की कहानी है। एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। उनकी उपलब्धियाँ न केवल खेल जगत में, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी प्रेरणादायक हैं। वह उन लाखों भारतीय लड़कियों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो बाधाओं को पार कर अपने सपनों को साकार करती हैं।

By ROHIT